संबल : कोरोना काल में भी महिलाओं ने दिखाया दम, बीते साल के मुकाबले कम हुई महिलाओं में बेरोजगारी दर: NSO
NSO की ओर से जारी आंकड़े कोरोना महामारी के संकट से पैदा हुए बेरोजगारी के मोर्चे में राहत पहुंचाते दिखाई दे रहे हैं. आंकड़े कहते हैं कि बीते साल 2018-19 की तुलना में साल 2019-20 में महिलाओं में बेरोजगारी दर कम हुई है.
NSO के सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाओं में बेरोजगारी की दर कम हुई है
NSO के सर्वे में खुलासा हुआ है कि महिलाओं में बेरोजगारी की दर कम हुई है
कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत मुश्किलों में डाल दिया था. लेकिन अब सुधरते हालातों के बीच अर्थव्यवस्था भी धीरे-धीरे पटरियों पर लाने की कोशिश हर ओर से हो रही है. महिलाएं इसमें पीछे नहीं हैं. बल्कि कोरोना जैसे कठिन दौर में भी महिलाओं ने अपना लोहा मनवा लिया है. महिलाओं ने बेरोजगारी की बढ़ती दीवार को ढहाते हुए अपने बीच बेरोजगारी की दर को कम कर करने में कामयाबी हासिल की है.सरकार की ओर से संसद को बताए गए आंकड़े राहत पहुंचा रहे हैं, और बता रहे हैं कि भारत की महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कंधे से कंधा मिलाने के लिए तैयार खड़ीं हैं.
NSO सर्वे में खुलासा महिलाओं में बेरोजगारी कम हुई :
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से एक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण यानी Periodic Labour Force Survey (PLFS) कराया गया था. इस सर्वे से मिले आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.1 प्रतिशत से गिरकर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत हो गई है. बता दें कि NSO सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation)की एक शाखा है.
मनरेगा में महिलाओं का रोजगार दिवस बड़कर हुआ 207 करोड़ दिन :
श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, "महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.1 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत हो गई है।" साल 2019-20 के लिए PLFS के अनुसार, मनरेगा(MGNREGS) के तहत 2020-21 में पैदा हुए कुल रोजगार (व्यक्ति दिवस) में, महिलाओं का हिस्सा बढ़कर लगभग 207 करोड़ व्यक्ति दिवस हो गया है.
श्रम भागीदारी में भी आ रहीं आगे :
महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR - The Labour Force Participation Rate ) 2018-19 में 24.5% से बढ़कर 2019-20 में 30% हो गई है.
सरकार भी दे रही साथ :
सर्वेक्षण के नतीजों की ये जानकारी संसद में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने एक लिखित जवाब में दी. बताया गया कि महिलाओं के बीच रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के उपाय किए गए हैं. जिसमें पेड मैटरनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना, 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेच सुविधा का प्रावधान, महिला कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ रात की पाली में अनुमति देना आदि शामिल हैं.
देश की महिलाओं की और भी उपलब्धियां हैं :
आगे भी महिलाओं की रोजगार दर में और सुधार लाने के लिए सरकार ने जमीन की सतह पर की खुली खदानों में भी महिलाओं को रोजगार दिलाने के मकसद से अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. इन खुली खदानों में शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच और जमीन के नीचे काम करने वाले तकनीकी, पर्यवेक्षी और प्रबंधकीय कार्यों में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच महिलाओं के लिए काम करना शामिल है. ये ऐसे पद हैं जहां लगातार मौजूदगी की जरूरत नहीं हो सकती है.
इसी तरह सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण भी दे रही है.
12 जुलाई 2021 तक, 84,390 प्रतिष्ठानों के जरिए करीब 993 करोड़ रुपए का कुल लाभ दिया गया है, जिसमें 5.88 लाख महिला लाभार्थियों सहित 22 लाख से ज्यादा लाभार्थी शामिल हैं. इसी तरह PMRPY के तहत 14 जून, 2021 तक 1.21 करोड़ लाभार्थियों को लाभ दिया गया है, जिसमें 26.05 लाख महिला लाभार्थी शामिल हैं.
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत स्वयंरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक की मदद की गई. ताकि MSME क्षेत्र में लोग आगे आ सकें. इसमें करीब 70% कर्ज महिला उद्यमियों को दिया गया है.
10:44 PM IST